Sandeep Kumar

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लेखनी कहानी -13-Feb-2025

दो धार की
दुआप हो तुम 
खिली खिली 
गुलाब हो तुम 

शब्द जुवान की
मिठास हो तुम 
प्रेम में 
पुर्ण विश्वास हो तुम 

लहराती अलसी 
कलसी कास हो तुम 
दिल की आभा
धड़कन की विश्वास हो तुम 

दिशा ए गुंजायमान 
जिज्ञासा की तलाश हो तुम 
नटखट 
नटराज हो तुम 

खुशबू सी महकती 
बाग की गुलाब हो तुम 
चमकती हुई तारे 
महबूब, महताब तो तुम 

नूर सी खिलती 
आफताब हो तुम 
बिंदीया
क्या लाजवाब हो तुम 

खनकती चुड़ी 
दिल की आवाज हो तुम 
पायल की 
झुन-झुन पैजाब हो तुम 

थिरकती नाचती 
एक आवाज हो तुम 
प्रिय 
संगे दिल सम्राज्य हो तुम

दो धार की,,,,
संदीप कुमार अररिया बिहार 
© Sandeep Kumar

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1 Comments

hema mohril

26-Mar-2025 05:01 AM

amazing

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